स्वास्थ्य रहना स्वास्थ्य व्यक्ति का मौलिक एवं जन्म सिद्ध अधिकार है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे अधिक आविष्कार सिर्फ़ भारत में ही हुए हैं। वैश्विक स्वास्थ्य के क्षेत्र में आयुर्वेद प्राचीन, समग्र एवं सम्पूर्ण ज्ञान है।मनुष्य के स्वास्थ्य को केवल शारीरिक स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं माना, मानसिक आध्यात्मिक एवं सामाजिक स्वास्थ्य के बिना शारीरिक स्वास्थ्य अधूरा है। अर्धनारीश्वर चिकित्सा वैलनेस न्यूरोथैरेपी सहित दुनिया के सभी चिकित्सा शास्त्रों का जन्म आयुर्वेद से ही हुआ है। हज़ारों वर्ष पहले हमारे वैदिक ऋषियों ने मनुष्य के संपूर्ण आरोग्य को बनाये रखने के लिए मानव कल्याण के लिए भिन्न भिन्न अनुसंधान किए। भगवान धनवंतरि को औषधि एवं आचार्य सुश्रुत को शल्य जगत की आधुनिक चिकित्सा का जनक कहा जाता है। भगवान शिव ने गणेश के सिर पर हाथी का सिर प्रत्यारोपण करने की अद्भुत एवं जटिल शल्य चिकित्सा को अंजाम दिया था। आरोग्य एवं दुनियाँ की सभी चिकित्साओं का आधार आयुर्वेद ही है।आयुर्वेद एक जीवन शैली भी है
अर्धनारीश्वर चिकित्सा वैलनेस न्यूरोथैरेपी की परिभाषा
आचार्य राम गोपाल दीक्षित के अनुसार :
“नाभि एवं अर्धनारीश्वर के आधार पर शरीर के ढाँचे एवं रसायनों को संतुलित करके रोग उपचार करने वाली भारतीय प्राचीन पद्धति को अर्धनारीश्वर चिकित्सा वैलनेस न्यूरोथैरेपी कहते है “
अर्धनारीश्वर चिकित्सा “नाभि एवं अर्धनारीश्वर” के सिद्धांत पर आधारित प्राचीन चिकित्सा पद्धति है जो स्वास्थ्य स्वास्थ रक्षणम , आतुरस्य रोग प्रसमनम, के उद्देश्य से शरीर के असंतुलित ढाँचे एवं रसायनो को संतुलित, नियंत्रित एवं नियमित करती है | इस पद्दति में व्यक्ति के शरीर के भिन्न भिन्न अंगों को, भिन्न भिन्न कोणों पर रखकर, हाथ या पैर की सहायता से, निश्चित समय एवं संख्या में दबाव या सहज घर्षण देकर, रक्त संचार एवं नाड़ी संचार को लक्षित ग्रंथि अथवा अंग की ओर कम या ज़्यादा करके उसे उकसाया जाता है, जिससे लक्षित हार्मोन या एंज़ाइम का उत्पादन नियमित एवं नियंत्रित हो जाता है और व्यक्ति पूर्ण स्वास्थ्य हो जाता है। इस का उपयोग केवल रोगों को ही ठीक नहीं करता अपितु निरोगी व्यक्ति को निरोगी बनाये रखने में भी बड़ी भूमिका निभाता है।
जैसे : अर्धनरीश्वर सिद्धांत के अनुसार अगर शरीर में एसिड या एल्कलाइन की मात्रा कम या ज़्यादा हो ज़ाय तो 100 से अधिक रोग हो सकते हैं। एसिड अलकलाइन पर नियंत्रण किडनियों का है। किडनियों के कार्य को संतुलित कर एसिड या अलकलाइन की मात्रा सामान्य कर देने से ये 100 से अधिक रोग एकदम ठीक होने लगते हैं।
अर्थात् “नाभि एवं अर्धनारीश्वर के सिद्धांत पर आधारित शरीर के त्रिदोष, तेरह अग्नि, सप्तधातु, मल विसर्जन की क्रिया, पंच महाभूत, एवं पाँचों कोषों को संतुलित करने की अद्भुत प्रक्रिया का नाम अर्धनारीश्वर चिकित्सा वैलनेस न्यूरोथैरेपी है।“
शरीर की सामान्य व्यवस्था, विन्यास या शृंखलता (ORDER ) जब बिगड़ जाती है अर्थात् अव्यवस्था ,विशृंखलता, अविन्यास ( DIS-ORDER ) हो जाता है तभी शरीर में त्रिदोष एवं सप्तधातुओं का असंतुलन ( IMBALANCE) होने से रोग उत्पात होने लगता है। शरीर रोगयुक्त, कष्टमय ( DIS-EASE ) होने लगता है अर्धनारीश्वर चिकित्सा वैलनेस न्यूरोथैरेपी द्वारा उस आंतरिक एवं वाह्य अविन्यास को रक्त संचार, नाड़ी संचार एवं एवं मांसास्थि ढाँचे पर विशेष समय एवं संख्या में किए गये योगिक घर्षण एवं दवाब के प्रयोगों से शरीर संतुलित ( BALANCE) होने लग जाता है। इस प्रयोग से शरीर का केंद्र ठीक होता है तथा अर्धनरेश्वर के सिद्धांत के अनुसार शरीर का ढाँचा सभी अंग-प्रत्यंग, रस_रसायन, जींस एवं क्रोमोज़म अपनी सामान्य व्यवस्था एवं प्रक्रिया (ORDER) में आने लगते हैं जिससे शरीर भी कष्ट मुक्त (EASE) होने लगता है।
अर्धनारीश्वर चिकित्सा वैलनेस न्यूरोथैरेपी के उपचार
स्वास्थ्य : स्वास्थ्य को पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति के रूप में परिभाषित किया जाता है, न कि केवल बीमारी या दुर्बलता की अनुपस्थिति के रूप में। स्वास्थ्य जीवित जीवों में चयापचय और कार्यात्मक दक्षता को भी दर्शाता है।
स्वास्थ्य को जीवन का एक बुनियादी मापदंड माना जाता है। ऐसी कई चीजें हैं जो जीवित जीव के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं, जिसमें शरीर की शारीरिक स्थिति के साथ-साथ मन और मानसिक स्थिति भी शामिल है। स्वास्थ्य होना कई सकारात्मक गुणों के बराबर है। इसका मतलब है अधिक दक्षता, काम पर अधिक उत्पादकता, पर्यावरण की बेहतर समझ और साथ ही बेहतर दीर्घायु। स्वास्थ्य शरीर न केवल स्वयं के लिए बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी एक अच्छा संकेत है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अगर किसी देश की आबादी स्वास्थ्य और ऊर्जावान है, तो उत्पादकता बढ़ती है, जिससे आर्थिक समृद्धि बढ़ती है। अच्छे स्वास्थ्य का एक और पहलू यह है कि इससे शिशु और मातृ मृत्यु दर कम होती है
आयुर्वेद के अनुसार :
समदोषः समाग्निश्च समधातु मलःक्रियाः। प्रसन्नात्मेन्द्रियमनः स्वास्थ्य इतिअभिधीयते॥
कोई व्यक्ति जिसके दोष, अग्नि, धातु और मलःक्रिया सम में है; साथ ही जिसकी आत्मा, इन्द्रिय और मन प्रसन्न हैं, उसे स्वास्थ्य कहते हैं|
रोग : मानव शरीर को अपनी संपूर्णता में ठीक से काम करने में सक्षम होना चाहिए। यदि कोई भी अंग या अंग प्रणाली ठीक से काम नहीं करती है, जिससे अस्वास्थ्य होने के संकेत और लक्षण दिखाई देते हैं, तो यह कहा जाता है कि स्वास्थ्य की स्थिति अच्छी नहीं है। हालाँकि, मानव शरीर में खुद को ठीक करने और इसमें प्रवेश करने वाले किसी भी विदेशी शरीर पर हमला करने की क्षमता होती है, जो शरीर के भीतर किए जाने वाले विशेष कार्यों की बदौलत होता है।
लेकिन, कई बार ऐसा होता है कि शरीर पर सूक्ष्म जीव या सूक्ष्मजीवों का आक्रमण होता है, जो पूरे सिस्टम के प्रभावी कामकाज को बाधित करते हैं। ये सूक्ष्म जीव संक्रमण का कारण बनते हैं और शरीर में ऐसी स्थिति पैदा करते हैं जो संक्रमित अंग/अंग प्रणाली के कामकाज को बाधित करती है। इस स्थिति को बीमारी कहा जाता है।
किसी भी बीमारी के साथ आम तौर पर ऐसे संकेत और लक्षण होते हैं जो हमें संकेत देते हैं कि शारीरिक अंगों और प्रणालियों के कामकाज में सब कुछ ठीक नहीं है। इस प्रकार इन लक्षणों का उपयोग संकेतक के रूप में किया जाता है जो बीमारी के प्रकार का निदान करने में मदद करते हैं।
बीमारियाँ कई तरह की हो सकती हैं। कुछ बीमारियाँ एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती हैं, जबकि कुछ बीमारियाँ दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती हैं। कुछ बीमारियाँ जानलेवा और जानलेवा भी हो सकती हैं, जिसके परिणाम स्वरूप मृत्यु भी हो सकती है, अगर समय पर उचित दवा या उपचार न लिया जाए।
अर्धनारीश्वर चिकित्सा वैलनेस न्यूरोथैरेपी काम कैसे करती है
नाभि एवं अर्धनारीश्वर के सिद्धांत पर आधारित प्राचीन चिकित्सा पद्धति है जो स्वास्थ्य स्वास्थ रक्षणम , आतुरस्य रोग प्रसमनम, के उद्देश्य से शरीर के असंतुलित ढाँचे एवं रसायनो को संतुलित, नियंत्रित एवं नियमित करने के लिए व्यक्ति के शरीर के भिन्न भिन्न अंगों को, भिन्न भिन्न कोणों पर रखकर, हाथ या पैर की सहायता से, निश्चित समय एवं संख्या में दबाव या सहज घर्षण देकर, रक्त संचार एवं नाड़ी संचार को लक्षित ग्रंथि अथवा अंग की ओर कम या ज़्यादा करके उसे उकसाया जाता है, जिससे लक्षित हार्मोन या एंज़ाइम का उत्पादन नियमित एवं नियंत्रित हो जाता है और व्यक्ति पूर्ण स्वस्थ हो जाता है।
अर्धनारीश्वर चिकित्सा वैलनेस न्यूरोथैरेपी चिकित्सीय विधि
एक प्रशिक्षित न्यूरोथेरेपिस्ट द्वारा उपचार की आवश्यकता वाले व्यक्ति पर आसन (योग) करने के लिए उपयोग की जाने वाली विधि की तरह रोगी को एक पतले गद्दे या किसी अन्य समान नरम आरामदायक क्षेत्र पर लिटाया जाता है, जहाँ चिकित्सक आसानी से दबाव डालता है और अपने हाथों और पैरों का उपयोग करके संबंधित क्षेत्रों की मालिश करता है। न्यूरोथैरेपी में हम असंतुलन को देखते हैं और शारीरिक प्रणाली के कार्यों के अनुसार इसका इलाज करते हैं, जैसे कि पाचन तंत्र, श्वसन तंत्र, संचार प्रणाली, अंतःस्रावी तंत्र आदि।
यह नाभि एवं अर्धनारीश्वर के सिद्धांत पर आधारित, भारतीय प्राचीन आरोग्य एवं पारंपरिक चिकित्सा ज्ञान जिसे हमारे महान वैदिक ऋषियों ने अध्यात्म एवं ध्यान की उच्च अवस्था में प्राप्त कर, गुरुकुल में शिष्यों को सिखाया और जिससे राजा महाराजाओं का उपचार करते थे । उस विलुप्त ज्ञान पर दैवीय कृपा से श्री लाजपत राय मेहरा जी ने आधुनिक रूप में प्रयोग किए उसी ज्ञान को आचार्य राम गोपाल दीक्षित जी ने अपने आधुनिक अभिनव नूतन खोज, अनेक प्रयोगों, अध्ययन एवं अनुसंधान करते हुए युगानुकूल बनाते हुए आधुनिक इसी नाभि एवं अर्धनारीश्वर के सिद्धांत पर आधारित अद्भुत चिकित्सा आज वैज्ञानिक रूप में अर्धनारीश्वर चिकित्सा वैलनेस न्यूरोथैरेपी के नाम से हमारे सामने रखा है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1.अर्धनारीश्वर चिकित्सा वैलनेस न्यूरोथैरेपी क्या है ?
नाभि एवं अर्धनारीश्वर के सिद्धांत पर आधारित शरीर के त्रिदोष, तेरह अग्नि, सप्तधातु, मल विसर्जन की क्रिया, पंच महाभूत, एवं पाँचों कोषों को संतुलित करने की अद्भुत प्रक्रिया का नाम अर्धनारीश्वर चिकित्सा वैलनेस न्यूरोथैरेपी है।
2.रोग एवं स्वास्थ्य की परिभाषा बताएं |
कोई व्यक्ति जिसके दोष, अग्नि, धातु और मलःक्रिया सम में है; साथ ही जिसकी आत्मा, इन्द्रिय और मन प्रसन्न हैं, उसे स्वास्थ्य कहते हैं|
संक्रमित अंग/अंग प्रणाली के कामकाज को बाधित करती है। इस स्थिति को बीमारी कहा जाता है।
3.आचार्य राम गोपाल दीक्षित जी के अनुसार अर्धनारीश्वर चिकित्सा वैलनेस न्यूरोथैरेपी की व्याख्या करें |
नाभि एवं अर्धनारीश्वर के आधार पर शरीर के ढाँचे एवं रसायनों को संतुलित करके रोग उपचार करने वाली भारतीय प्राचीन पद्धति को अर्धनारीश्वर चिकित्सा वैलनेस न्यूरोथैरेपी कहते है
4.अर्धनारीश्वर चिकित्सा वैलनेस न्यूरोथैरेपी कैसे काम करती है ?
नाभि और अर्धनारीश्वर सिद्धांत पर आधारित यह प्राचीन चिकित्सा पद्धति शरीर के असंतुलित ढाँचे और रसायनों को संतुलित करने के लिए विभिन्न अंगों पर दबाव या घर्षण देकर रक्त और नाड़ी संचार को नियंत्रित करती है। इससे लक्षित हार्मोन या एंज़ाइम का उत्पादन नियमित होता है और व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है।